प्रेम की प्रतीक्षा



जब दिल की आवाज़ बनूँ मैं,
तेरे अहसास में समाऊँ मैं।
मेरा चेहरा तेरे ख्वाबों में हो,
और तू मेरे खयालों में खो जाए।

प्रेम तो हर कोई कर लेता है,
पर इंतज़ार और वफ़ा की राह कठिन है।
यह एक साधना है, त्याग का प्रतीक,
जो हर दिल का हौसला नहीं।

सच्चे प्रेम का अर्थ समझना है,
हर दर्द को हँसकर सहना है।
जो इस राह पर चल सके,
वही प्रेम में अमर हो सके।


प्रेम का प्रतीक


जब ह्रदय की पुकार सुनाई दे,
तेरे रूप का दर्शन हो सजीव।
मन के स्पंदन में तुम हो समाहित,
प्रेम का यह अनुभव अति सजीव।

मोहब्बत तो हर कोई कर लेता है,
पर प्रतीक्षा और वफा, तपस्या का मार्ग है।
यह साधना है आत्मा की, गहन समर्पण से जुड़ा,
जो हर किसी के वश की बात नहीं।

संयम और श्रद्धा का यह पथ,
जहाँ प्रेम की अग्नि से तपना होता है।
जो सह सके इस अग्निपथ को,
वही सच्चे प्रेम का अधिकारी होता है।

इस प्रेम यात्रा में साधक बन,
हर बाधा को सहजता से सहना होता है।
प्रेम की इस पवित्र साधना में,
हर मनुष्य का ह्रदय स्थिर नहीं रहता।


काम का वास्तविक उद्देश्य: चेतना की अभिव्यक्ति और हृदय से जीवन का उत्सव


आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में अक्सर हम अपने काम को किसी बॉस, पद, या पैसे से जोड़कर देखने लगते हैं। हमारे समाज में काम की सफलता को अक्सर इन बाहरी प्रतीकों से मापा जाता है। लेकिन क्या सचमुच यही जीवन का उद्देश्य है? क्या हम अपनी असली खुशी, संतोष और आत्म-संतुष्टि को इन बाहरी चीजों से जोड़कर पा सकते हैं?

इस लेख में हम एक नई दृष्टि से काम को समझने का प्रयास करेंगे। जब हम काम को किसी बॉस या पैसे के लिए नहीं बल्कि अपनी चेतना की अभिव्यक्ति के रूप में करने लगते हैं, तो यह न केवल हमारे व्यक्तिगत जीवन को बदल देता है, बल्कि जीवन के प्रति हमारा दृष्टिकोण भी बदल देता है।

हृदय से काम करने का अर्थ

हृदय से काम करना केवल एक शब्द नहीं, बल्कि एक गहरी भावना है। इसका मतलब है कि हमारे काम का हर पहलू हमारे अंदर की सच्चाई और प्रेम से प्रेरित हो। हृदय के स्थान से काम करने का अर्थ है कि हम वह करें जिससे हमें वास्तविक खुशी मिले, न कि वह जो समाज हमें बताता है कि हमें करना चाहिए। यह एक ऐसी स्थिति है जहां काम एक बोझ नहीं, बल्कि जीवन का उत्सव बन जाता है।

जब हम हृदय से काम करते हैं, तो हम अपनी हर गतिविधि में आनंद खोजने लगते हैं। हर कार्य एक अवसर बन जाता है खुद को व्यक्त करने का, अपनी रचनात्मकता को उभारने का और इस जीवन का खुले दिल से स्वागत करने का।

चेतना की अभिव्यक्ति

हर इंसान की चेतना अद्वितीय होती है, और हर व्यक्ति के पास अपनी पहचान और उद्देश्य होता है। जब हम काम को अपनी चेतना की अभिव्यक्ति मानते हैं, तो यह न केवल हमारी क्षमताओं का विस्तार करता है बल्कि हमें एक गहरा आत्म-समर्पण भी सिखाता है। इस अवस्था में हम बाहरी उपलब्धियों की बजाय अपने आंतरिक उद्देश्य और आत्मिक विकास पर ध्यान देने लगते हैं।

यह अभिव्यक्ति अपने आप में एक आध्यात्मिक यात्रा बन जाती है, जहाँ हम हर छोटे-बड़े कार्य को एक साधना की तरह करते हैं। यह अवस्था हमें सिखाती है कि वास्तविक संतोष और प्रचुरता तब मिलती है, जब हम अपने कार्य को आत्मा की आवाज़ मानकर करते हैं, न कि बाहरी मान्यता की लालसा में।

प्रचुरता का दावा

जब हम हृदय से और चेतना की अभिव्यक्ति के रूप में काम करते हैं, तो प्रचुरता स्वतः ही हमारे जीवन में आती है। यह प्रचुरता केवल धन या भौतिक चीजों तक सीमित नहीं होती, बल्कि यह उस शांति, संतोष और आत्मिक सम्पन्नता में भी प्रकट होती है जो हमें भीतर से संपूर्ण बनाती है। हम महसूस करते हैं कि हमें किसी चीज़ की कमी नहीं है, और हम अपने आप में पूर्ण हैं।

काम में यह दृष्टिकोण अपनाने से हम यह दावा कर सकते हैं कि हमारे जीवन में जो भी आएगा, वह हमें प्रचुरता की दिशा में ही ले जाएगा। यह रास्ता हमें अपने भीतर की शक्ति और सच्चाई का अनुभव कराता है और हमें एक नई ऊर्जा और आत्म-विश्वास से भर देता है।

निष्कर्ष

जब हम काम को केवल किसी पद, पैसे या बाहरी उपलब्धियों के लिए नहीं बल्कि एक आत्मिक यात्रा के रूप में देखते हैं, तो यह हमें जीवन का वास्तविक अर्थ समझाता है। हृदय से और चेतना की अभिव्यक्ति के रूप में किया गया काम हमारे जीवन को संपूर्णता की ओर ले जाता है।

इसलिए, आइए हम अपने काम को जीवन के उत्सव के रूप में अपनाएँ। आइए हम हर कार्य में उस आनंद को खोजें जो हमें इस जीवन से जुड़ने का अवसर देता है। और यह याद रखें कि हमारी सच्ची प्रचुरता बाहर नहीं, हमारे भीतर है।


मेरे अपने रास्ते की शुरुआत



जब तक मैं अपने आदर्श रूप की कल्पना करता रहूँ,
तब तक वो केवल मेरे मन में बसा रहेगा,
लेकिन जब मैंने उसे साकार करने का निर्णय लिया,
तो पाया कि यह बहुत आसान था,
सिर्फ शुरुआत करने की देर थी।

मैंने खुद को जगाया,
सपनों को जागृत किया,
सुबह अलार्म बजते ही उठकर,
जिम की ओर कदम बढ़ाए।

जो कभी टालता था,
अब उसे करता हूँ आज ही।
स्वस्थ आहार, सही विकल्प,
यह सब मेरे लिए अब बन चुके हैं आदतें।

जो मैं कल से टालता था,
आज उसे अब करने की ताकत है मुझमें।
कभी मेहनत को बड़ा समझता था,
अब उसे नयापन बना लिया है।

मुझे अब यह समझ आया,
सपने तब तक सपने रहेंगे,
जब तक मैं उन्हें हकीकत में बदलने का काम नहीं करता।
यह यात्रा अब शुरू हो चुकी है,
और मेरे लिए अब कोई रास्ता नहीं है,
सिर्फ आगे बढ़ने की राह है।

अब या कभी नहीं!
कोई रास्ता नहीं दिखेगा,
तो मुझे खुद अपनी राह बनानी होगी,
क्योंकि कोई और नहीं आएगा मुझे वहाँ तक पहुँचाने।


अँधेरे

इस अँधेरे के पीछे  कहीं  एक उजाला छुपा  है
उस उजाले मे छुपी  है एक किरण
उस किरण मे है एक रौशनी
वो रौशनी  जो जगमगाए  इस अँधियारे  मे
 जहाँ है मुर्दो  की बस्ती 
बस्ती  मे है जिन्दा लाशें 
जो लड़ रही है सिर्फ  जीने के लिए
पर उसे फिर भी जीना  नहीं आता
बाहर  से कोई कितना भी
अपने आप को जिन्दा दिखाए 
 मगर अंदर  से तो पूरा मरा है
मरा   है अज्ञानता  से
मरा  है जरूरत  से
सपनो को मारकर भी जो 
सोचते हैँ की वो सपने पूरे कर रहे हैँ
वो अँधेरे  मे जी रहे हैँ.

#दीपक डोभााल. 

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...