सोचो जीवन है एक बड़ा, गंदा रसोईघर,
जहाँ हर शुरुआत होती है, छोटी-छोटी गलतियों से।
जो नए शेफ होते हैं, वे जानते हैं सच्चाई,
सपने देखकर नहीं, किचन में खड़े होकर ही बनते हैं महान।
कभी कुछ सॉस गिर जाता है, कभी कुछ जल जाता है,
और कभी धुंआ उड़ता है, तो क्या हुआ?
यह सब सफलता की रेसिपी का हिस्सा है,
हर विफलता हमें और मजबूत बनाती है।
विफलता नहीं है हार, यह है टेस्टिंग की प्रक्रिया,
हर जलन, हर गलती, यही है सफलता का तरीका।
जब तुम बैठकर बस सोचते हो, तो क्या मिलता है?
सपने जल्द ही बिगड़ने लगते हैं, जैसे फ्रिज के बाहर रखा दूध।
"कर्म करो, चाहे वह विफलता का रास्ता दिखाए,"
यह है सफलता का खमीर, इसे ही राइज करना सिखाता है।
वहीं, निष्क्रियता बन जाती है, सपनों पर फफूंदी,
जो तुम्हें कभी आगे नहीं बढ़ने देती, बस तुम वहीं ठहर जाते हो।
आगे बढ़ो, हाथ में कढ़ाई लेकर काम करो,
सफलता उन्हीं की है, जो कभी डरते नहीं।
गलतियाँ करो, सीखो, फिर से शुरू करो,
क्योंकि यही रेसिपी है, जीवन की असली खुशी पाने की।
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