दर्द से सामना



यह वो वक्त है जब मैं खुद को नहीं भटकाता,
ना नित नई योजनाओं में उलझता।
ना किसी और की मुस्कान में अपना खालीपन छुपाता,
बल्कि अपने अंदर के दर्द से सामना करता।

दर्द को महसूस करना,
यह सबसे कठिन यात्रा है।
जब दुनिया चुप होती है,
तब मैं अपनी खामोशी में हर एहसास महसूस करता हूँ।

यह आसान नहीं,
यह अजीब है, यह डरावना है,
लेकिन मैं जानता हूँ कि
कोई और नहीं, केवल मैं खुद इसे पार कर सकता हूँ।

दूसरों का सहारा नहीं,
कोई नई खुशियाँ नहीं,
बस मेरी आत्मा और मेरा दुःख,
यह मेरी खुद की चिकित्सा है।

सिर्फ़ मैं ही अपना दर्द खत्म कर सकता हूँ,
तभी मैं सच्चे रूप से उबर सकता हूँ।


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