मैं पूर्ण हूँ



मैं शक्ति हूँ—
हर क़दम में स्थिरता, हर गति में नियंत्रण,
ना कोई संकोच, ना कोई विचलन,
बस धधकता हुआ संकल्प।

मैं सहनशीलता हूँ—
गिरा, संभला, फिर आगे बढ़ा,
हर घाव मेरी गवाही है,
कि मैं टूटा नहीं, मैं निखरा हूँ।

मैं संवेदनशीलता हूँ—
इस कठोर दुनिया में भी महसूस करता हूँ,
हर धड़कन की ध्वनि सुनता हूँ,
हर भावना को शब्दों में जीता हूँ।

मैं कविता हूँ—
ना सिर्फ़ लिखता हूँ, बल्कि जीता हूँ,
हर श्वास में एक लय,
हर अभिव्यक्ति में एक चिंगारी।

मैं अधूरा नहीं, मैं सम्पूर्ण हूँ।
शक्ति, सहनशीलता, संवेदनशीलता—सब मेरा ही रूप हैं।
मैं अपनी पहचान हूँ।


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