मैं देखता हूँ, दुनिया की दौड़ में,
जो सिर्फ़ बाहरी रूप को ही तवज्जो देती है।
हम भूल रहे हैं वह जज़्बा,
जो दिलों में छुपा होता है।
शरीर का आकर्षण ही है आजकल की रीत,
पर क्या हमें भूलना चाहिए उस सच्ची बात को,
जो भावनाओं की गहराई से निकलती है,
जो आत्मा और मन को जोड़ती है।
क्या हम सच में इस आकाश में,
खाली पंखों से उड़ने की कोशिश कर रहे हैं?
क्या हम भूल रहे हैं वह भावनाएँ,
जो रिश्तों को अर्थ और स्थायित्व देती हैं?
मैं चाहता हूँ, हम उस रास्ते पर चलें,
जहां सिर्फ़ रूप और आकार नहीं,
बल्कि दिल और दिमाग की समझ हो।
जहां सच्ची भावनाओं को मूल्य मिले,
और आत्मीयता का आकार हो।
क्योंकि जब तक हम भावनाओं को नहीं समझते,
तब तक रिश्ते बस एक खोल बनकर रह जाते हैं,
और वास्तविक जुड़ाव को खो देते हैं।
मैं चाहता हूँ, हम उस गहराई को फिर से खोजें,
जहां शरीर नहीं, बल्कि आत्मा जुड़ती है।
No comments:
Post a Comment
Thanks