आज मैंने ठान लिया है,
अब और लड़ाई नहीं, अब कोई झंझट नहीं।
जो मुझे मेरे भीतर से तोड़ता है,
उससे खुद को दूर करना सही।
मैंने समझा, बुराई का उत्तर बुराई नहीं,
उसकी आग में जलकर खुद को खोना सही नहीं।
मैं अपनी शांति को सहेजूंगा,
अपने दिल की सुकून को सजाऊंगा।
हर ताना, हर चोट, अब पीछे रह जाएगी,
मेरे कदम अब सिर्फ़ आगे बढ़ेंगे।
उनके खेल में मैं अब नहीं पड़ूंगा,
अपनी आत्मा की आवाज़ को सुनूंगा।
मुझे लड़ाई नहीं, शांति चाहिए,
अपना दामन मैं खुद ही थामूंगा।
जो मेरी ऊर्जा को छीनने आए,
उसे अपनी अनुपस्थिति का उत्तर दूंगा।
आज रात, मैं खुद को गले लगाऊंगा,
अपने भीतर की गहराई में उतर जाऊंगा।
क्योंकि मेरी शांति मेरा अधिकार है,
और इसे कोई मुझसे छीन नहीं सकता।
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