डर को देखो, न भागो तुम,
उसकी गहराई में झाँको तुम।
छाया है जो मन के कोने में,
उस अंधकार को उजाला दो।
डर से लड़ना, संघर्ष नहीं,
बस उसका साक्षी बनना सही।
आँख मिलाओ, ठहरो वहीं,
उसकी शक्ति को पहचानो कहीं।
डर तो है एक भ्रम का खेल,
जिससे निकलो, तो जीवन झेल।
जो छुपा था, वो उजागर होगा,
मन का हर कोना उजला होगा।
साक्षी बनो, न कैदी रहो,
डर के पार का संगीत सुनो।
जीवन के इस रहस्य को समझो,
डर को जीतने का मंत्र यही कहो।
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