आदतों का संघर्ष



सिद्धांतों के बंधन में, नैतिकता का द्वार,  
आदतों का समर्पण, मजबूरी का विचार।  
फैसलों की दुनिया में, उठते हैं सवाल,  
कौन सही, कौन गलत, मन का बड़ा जंजाल।

मजबूर आदतें, जैसे बेड़ी का प्रहार,  
हर कदम पर खींचे, नैतिकता की हार।  
फैसले जो उठते, मजबूरी की डगर से,  
वो बनते हैं कारण, आत्मा की उमर से।

पर भीतर की लड़ाई, खुद से ही है जंग,  
नैतिकता के पथ पर, आदतों का रंग।  
खुद से खुद का संघर्ष, एक अदृश्य युद्ध,  
हर रोज़ का प्रयास, स्वयं से हो अदृश्य।

जीवन की इस राह में, खुद से करना वार,  
मजबूरी की आदतों को, नैतिकता से हार।  
सिद्धांतों की मूरत, खड़ी हो अडिग,  
आदतों के बंधन को, तोड़ो और खंडित।

ये लड़ाई है निरंतर, अंतहीन प्रयास,  
नैतिकता की विजय में, जीवन का उजास।  
खुद से खुद की जीत, होगी जब अमूल्य,  
आदतों के बंधन से, मुक्त हो जाऊं सुलभ।

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