छाया तो छाया है

छाया का उद्देश्य यही है सिखाना,
हरदम उजाला और खुशी में खोना नहीं।
अपने मूल्य को जानने के लिए,
हर समय प्रकाश में रहना जरूरी नहीं।

छाया तो छाया है, आत्मा का प्रकाश नहीं,
इसे अपनाने का अर्थ, स्वीकृति में गहराई।
अंधेरे का भी है अपना महत्व,
मन के हर कोने को रोशनी मिलनी चाहिए भाई।

स्वयं की छवि को अपनाना,
अंतरतम में झांकना जरूरी है।
छाया का अस्तित्व मानो,
स्वयं से प्रेम, यही असली पवित्रता है।

अंधकार को गले लगाओ,
इसमें छुपा है गहन सत्य।
अपनी छाया को पहचानो,
यही है आत्मा की वास्तविक स्थिति।

छाया

छाया का उद्देश्य सिखाना है
कि हर पल प्रकाश और आनंद से भरा होना आवश्यक नहीं,
स्वयं की महत्ता को जानने के लिए।

छाया तो बस छाया ही रहेगी,
कभी नहीं बनेगी आपकी आत्मा का प्रकाश।
छाया का समायोजन आत्म-स्वीकार है,
सबसे गहरे स्तर पर।

छाया के बिना भी अस्तित्व है,
प्रकाश और अंधकार दोनों के साथ।
स्वयं की पहचान में ही जीवन का सार है,
स्वीकृति और प्रेम से भरपूर।

जो छाया में है, वह भी तुम्हारा हिस्सा है,
जिसे अपनाने से ही आत्मा को शांति मिलेगी।
छाया और प्रकाश का मिलन,
पूर्णता की ओर एक कदम है।

अस्वीकार और विरोध नहीं,
स्वीकारोक्त और समायोजन में ही
सच्ची शक्ति और समझ छिपी है।
छाया में भी तुम्हारी आत्मा का अंश है,
जिसे स्वीकारने से ही आत्मा को पूर्णता मिलेगी।

दास्तान


चाँदनी रात में जब सितारे मुस्कराते हैं,
दिल के हर कोने में अरमान जगाते हैं।
प्रकृति की गोद में जब सुकून पाते हैं,
हर दर्द, हर ग़म को हम भूल जाते हैं।

जिंदगी की राह में कुछ कदम अकेले चलो,
खुद को ढूँढने का एक मौका दो।
महकते फूलों की खुशबू से सजाओ दिल,
खुशियों की बगिया में खिलते फूलों को देखो।

हर सुबह एक नया सपना ले कर आती है,
हर शाम एक नया रंग बिखराती है।
मन की गहराइयों में खुशी का सागर बसा लो,
हर लम्हा अपने आप में एक दास्तान बना लो।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...