वासना की लहरों में बहते हैं हम,
मन की घाटियों में उमंग उभरती है।
कुछ कारणों से होती हैं हमें वासनाएं,
कभी सुख-दुःख को जीते हैं हम अपनाएं।
भोगों की मद और माया पर मोहित हम,
रंगी हुई दुनिया में वासना की तरंग।
बुद्धि को लालच झेल रहीं है हमें,
गुमराही की आग में जलते हुए संग।
बाहरी तरंगें समेट, सच्चाई में टेरे,
वासना की ज्वाला को शांति में लाऊं।
मखमली ख्वाहिशों को संवर, मन को रोक ले,
वासनाओं की माला को तू टूंटवाऊं।
ज्ञान के मार्ग से ऊपर इच्छाओं को खूबसूरती दे,
छेदती हुई वासनाओं को दम निकाल।
क्रोध की आंधी को प्यार की हवा में बदल,
वासनाओं को छोड़, अपने आप को पहचान।
जतन करते हुए सुख सृष्टि करना है,
मध्यम राह चुनकर आगे बढ़ना है।
वासना से मुक्ति मिले, शांति की प्राप्ति हो,
हर क्षण भर आपने मन को जन्म देना है।
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