श्वासों के बीच जो मौन है,
वह ब्रह्माण्ड की गूढ़ कथा है।
आत्मा से जो संवाद करे,
वह रहस्य की अमिट रेखा है।
साँसों का आवागमन जब थमता है,
मन का सागर जब शांत होता है।
वहीं उस क्षण में सृष्टी का स्वर,
प्राणों में कोई गीत रचता है।
शून्येऽस्मिन यत्र तिष्ठति
वहां आत्मा को संदेश मिलता है।
मौनं परमं ध्यानं,
यह ब्रह्म-तत्व प्रकटित होता है।
क्षणभंगुर यह देह जब रुकती,
अंतर में कोई ज्योति जलती।
श्वासों के बीच का यह विराम,
अनंत का अनूठा संग्राम।
वह मौन, वह निःशब्दता,
आत्मा का सर्वोच्च मित्र बन जाती।
ब्रह्माण्ड की अनहद ध्वनि सुनाए,
जिसमें सारी सृष्टि सिमट जाती।
"मौनं हि परं ज्ञानं,"
यह वेदों ने सत्य प्रकटाया है।
श्वासों के बीच जो मौन है,
वही सृष्टि का नृत्य कहलाया है।
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