आज मेरे आँगन में
एक नन्हा सूरज उगा है,
उसकी किरणों में
ममता का पूरा ब्रह्मांड चमक रहा है।
आज मेरे घर में
एक कोमल कली खिली है,
जिसकी हँसी में
स्वर्ग की सारी मधुरता बसी है।
मैंने उसकी हथेली में देखा,
पूरे भविष्य का आशीर्वाद लिखा है।
उसकी आँखों में पाया,
निर्मल आकाश का गहन नीलापन।
मेरे आँगन की धड़कनों में
आज संगीत उतर आया है,
हर दीवार पर, हर छत पर
आशीषों का दीप जल गया है।
लोग कहते हैं —
बेटी लक्ष्मी है,
पर मैं जानता हूँ —
वह सरस्वती भी है,
गंगा की धारा भी है,
और माँ दुर्गा की शक्ति भी।
नन्हे-नन्हे पाँव से
वह घर को स्वर्ग बना देगी,
अपने मासूम सवालों से
मुझे नया इंसान बना देगी।
आज मैं पिता बना हूँ —
और यह शब्द
मुझे सबसे सुंदर उपहार सा मिला है।
मेरी छोटी-सी परी,
तू सिर्फ मेरी बेटी नहीं,
मेरी आत्मा का सबसे पवित्र हिस्सा है।
---
No comments:
Post a Comment
Thanks