मेरे लिए खुद का विश्वास



जब मैंने खुद को नकारा,
तो मैंने यह मान लिया कि असंभव कुछ भी नहीं है।
मेरी मंज़िल दूर लगी,
जब तक मैंने खुद पर विश्वास नहीं किया, तब तक वह बहुत दूर लगी।

हर कदम को चुनौती मानता हूँ,
सपनों को हकीकत में बदलने की राह पर बढ़ता हूँ।
अगर मैं खुद को नकार दूँ,
तो सफलता को कैसे पा सकता हूँ?

याद रखता हूँ, असंभव वही है जो मैंने खुद तय किया हो,
जब तक मैं संघर्ष कर रहा हूँ, मैं रास्ते पर हूँ।
विश्वास रखता हूँ, आत्मविश्वास से हर कदम बढ़ाता हूँ,
मेरी मेहनत और विश्वास ही मेरे सपनों को साकार करेगा।

खुद को अयोग्य नहीं मानता,
मैं वही हूँ जो खुद को मानता हूँ।


No comments:

Post a Comment

Thanks

शांत रहो, सुनने की शक्ति बढ़ेगी

जब मौन की चादर ओढ़ता हूँ, भीतर का कोलाहल शांत होता है। हर आहट, हर ध्वनि, जैसे मन का संगीत बन जाता है। शब्दों के शोर में खो जाता था, अब मौन क...