The Audacity

साहस मेरा नाम है

मुझे खुद पर यक़ीन करने का साहस है,
टूटे सपनों को जोड़ने का जुनून है।
इस ज़माने की सड़ी सोचों से
लड़ने का मेरे भीतर तूफ़ान है।

मैंने सीखा है—
कि हर ठोकर सिर्फ़ ज़ख़्म नहीं, सबक़ भी होती है,
और हर आँसू कमज़ोरी नहीं, तपस्या होती है।
मैंने खुद को अँधेरों में ढूँढा है,
और उजालों को अपने भीतर जला डाला है।

मेरे सपनों के महल
ईंटों से नहीं, इरादों से बने हैं।
जहाँ दीवारें मेरी मेहनत की गवाही देती हैं,
और छत मेरे आत्मसम्मान से ढकी है।

इस पितृसत्तात्मक, हिंसक दुनिया में
जहाँ औरत होना गुनाह समझा जाता है,
मैंने खुद को गले लगाया है।
ख़ुद से प्रेम करना, मेरे लिए विद्रोह है।

मैंने अपने भीतर के जख़्मों को
फूलों में बदलना सीखा है,
और अपने अस्तित्व को
किसी की परिभाषा से नहीं,
अपने आत्मा की आवाज़ से मापा है।

मैंने चुना है
भीतर उतरने का रास्ता,
जहाँ हर डर से आँख मिलाई है मैंने,
हर परछाईं को अपनाया है।
मैं कोई देवी नहीं,
पर खुद को कमज़ोर भी नहीं मानती।

मेरा शरीर, मेरी धरोहर है।
जैसे प्रकृति खुद को सहजता से सँवारती है,
वैसे ही मैंने अपनी सेहत,
अपनी आत्मा की भाषा बना ली है।

हाँ, मुझे है 'साहस'—
हर उस बात के लिए जो मुझसे छीनी गई थी।
मुझे है साहस—
हर उस बात के लिए जो मुझसे करने से रोकी गई थी।
मुझे है साहस—
खुद को वापस पाने का।
अपने भीतर लौटने का।
अपने लिए खड़े होने का।

मैं चल रही हूँ,
उन रास्तों पर जो कांटों से भरे हैं।
पर हर कांटा मेरे इरादों के नीचे झुकता है।
मैं चल रही हूँ—
खुद की तलाश में नहीं,
खुद की रचना में।

क्योंकि
मेरे भीतर एक क्रांति पल रही है,
जो प्रेम से जन्म लेती है,
और आत्मसम्मान की गोद में पलती है।

मुझे बस एक चीज़ चाहिए—
साहस।
वो भीख में नहीं,
मैं अपनी हर साँस से कमाती हूँ।

क्योंकि मैं हूँ।
मैं थी।
और मैं रहूँगी—
अपने ही नाम से।

— दीपक डोभाल


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