ज्ञान का स्पर्श



मैंने चाँदनी को छूना चाहा,
पर उसकी ठंडक को समझ न सका।
तुमने बताया, कि यह सूरज की देन है,
जो अंधकार में भी उजास रखती है।

मैंने शब्दों को जाना,
पर उनके भीतर की ध्वनि से अपरिचित था।
तुमने सिखाया, कि हर लय में एक अर्थ छुपा है,
जो हृदय से सुना जाता है।

मैंने समय को बहता देखा,
पर उसे थामने की कला से अनजान था।
तुमने समझाया, कि पल जब जिया जाता है,
तभी वह शाश्वत हो जाता है।

मैंने खुद को देखा,
पर अपनी गहराइयों में उतर न सका।
तुमने मुझे पढ़ाया, कि आत्मा का ज्ञान ही
सबसे मधुर संगति है।

जब तुम सिखाते हो,
तो शब्द नहीं, स्पर्श होता है।
एक ऐसा स्पर्श, जो
मन को भीगने देता है,
और आत्मा को खिलने।


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