हर उच्चता की ओर बढ़ते हुए संघर्ष है,
हर विजय के पूर्व अभ्यास अनिवार्य है।
पर केवल श्रम में खो जाना नहीं है ध्येय,
समझदारी से रचना ही है सिद्धि का उपाय।
प्रारंभ में श्रम ही जीवन का कर्तव्य है,
प्रत्येक कदम में ज्ञान का विस्तार है।
हर विकटता में अनुभव का रत्न छिपा है,
प्रत्येक प्रयास भविष्य को साकार करता है।
पर केवल श्रम पर्याप्त नहीं है,
यह तो बस प्रथम पथ है यत्रा का।
यदि केवल परिश्रम में रुक जाओ,
तो व्यवस्थाओं का अर्थ खो दोगे।
श्रम से मिलता है अनुभव और दक्षता,
पर इन्हें रूपांतरित करो साधन और सरलता में।
स्मार्ट प्रणाली से कार्य करो,
ताकि श्रम से उत्पन्न थकावट दूर हो जाए।
जो लोग सदा संघर्ष में उलझे रहते हैं,
वे नीति और मार्गदर्शन में चूक जाते हैं।
हर दुःख का उद्देश्य है निर्माण करना,
ताकि जीवन का मार्ग सरल और समृद्ध हो।
शुरू करो कर्म उत्साह और धैर्य के साथ,
पर समझो कब उठाना है नया कदम।
व्यवस्था और संतुलन ही वास्तविक सफलता है,
जहां कार्य सुगम हो, और शांति का वास हो।
प्रारंभ में तपना आवश्यक है,
पर जीवन को न बनाओ केवल शोर का अस्तबल।
सीखो, समृद्धि की योजना बनाओ,
तभी तुम्हारी यात्रा में विजय का गान होगा।
तो श्रम करो, पर मार्ग भी चुनो सही,
सिर्फ दौड़ने से नहीं, बुद्धिमत्ता से होती है वृद्धि।
श्रम का उद्देश्य है निर्माण करना,
ताकि जीवन को शाश्वत अर्थों में परिवर्तित किया जा सके।
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