रूह को आज़ाद कर

बदले की आग में, खुद को मत जलाओ,
दर्द की जंजीरों से, खुद को मत बंधाओ। 

जिसने दिया है घाव, उसे जाने दो,
अपने दिल की तपिश को, ठंडा करने दो।

बदले की राह में, बस समय है गँवाना,
अपनी रूह को आज़ाद कर, चलो नया फसाना।

दर्द को थाम कर रखना, बस तुझे और दुख देगा,
छोड़ दो वो बोझ, जो तुझे पीछे खींचता रहेगा।

अपनी ऊर्जा को बदल दो, बदले की नहीं, उपचार की ओर,
चाहे जितना भी कठिन हो, बढ़ो खुद की बहार की ओर।

मिटा दो नफ़रत का हर निशान, और प्यार से भर लो,
चोट को भूल कर, अब अपनी सुकून की राह पर चलो। 

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