ना कह दे जो कोई…
बुरा नहीं मानता अब मैं।
हर दिल की अपनी कहानी होती है,
हर मोड़ पर मंज़िल नहीं मिलती —
पर हर मोड़ कुछ सिखा ज़रूर जाता है।
मैं हूँ जो हूँ…
किसी साँचे में ढलना नहीं चाहता।
जो बिना बदले अपनाएं —
बस वही अपने कहलाते हैं।
जो मुझे न चुन पाए…
कृपा है उसकी —
जो मेरी राहें साफ़ करता चला गया।
अब मैं सिर्फ़ उन आंखों में ठहरना चाहता हूँ,
जो मेरी सच्चाई में रौशनी देख सकें।
हर ‘ना’ एक ‘हाँ’ की सीढ़ी है।
हर इंकार, एक इनायत है…
क्योंकि जो गया,
वो कभी मेरा था ही नहीं।
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