अंतहीन संभावना



मैंने देखा है,
फूलों को खिलते हुए,
एक के बाद एक,
जैसे सृजन का कोई अंत न हो।
हर फूल कहता है,
"यहाँ ठहरना नहीं है,
यहाँ समाप्ति नहीं है।
आगे और भी है,
अनंत की ओर जाना है।"

मेरे भीतर भी,
वह कमल खिला है,
जिसकी पंखुड़ियाँ असीम हैं।
हर पंखुड़ी एक नई शुरुआत,
हर रंग एक नई संभावना।
क्या मैं इसे देख पाता हूँ?
या अपने ही अंधकार में
इस कमल को भूल गया हूँ?

"न अंतः, न प्रारंभः,"
यही तो मेरी सच्चाई है।
मैं वहाँ नहीं रुक सकता,
जहाँ मैं आज हूँ।
मुझे बढ़ना है,
हर क्षण, हर सांस।
मेरे भविष्य की राह विस्तीर्ण है,
जैसे आकाश,
जैसे समुद्र।

हर फूल,
जो मेरे जीवन में खिला,
एक संदेश है:
"तुम्हारे भीतर वह वृक्ष है,
जो कभी नहीं रुकता,
जो सृजन करता है,
जो असीम को जीता है।"

"संभावनाओं का विस्तार"
यही मेरी पहचान है।
मैं सीमाओं में नहीं बंध सकता,
क्योंकि मेरी आत्मा असीम है।
हर कमल,
जो मेरे भीतर खिलता है,
मुझे याद दिलाता है:
तुम रुकने के लिए नहीं बने,
तुम चलते रहने के लिए बने हो।

तो क्यों ठहरूँ?
क्यों मान लूँ कि यह अंत है?
हर दिन, हर क्षण,
मैं अपने भीतर एक नया फूल खिलाऊँगा।
हर विचार, हर कर्म,
मेरे भविष्य का विस्तार करेगा।

"कमल पर कमल खिलते रहेंगे,"
यही मेरा सत्य है।
मैं अंतहीन हूँ,
और मेरी संभावनाएँ अनंत।
मेरा भविष्य,
उस विशाल आकाश की तरह है,
जिसमें कोई सीमा नहीं।

ओ मेरे भीतर के कमल!
खिलते रहो,
हर क्षण, हर जीवन।
तुम ही मेरा सृजन हो,
तुम ही मेरा अनंत हो।


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