एकांत के सन्नाटे में, जहां मौन का संगीत गूंजता है,
वहां न कोई परछाईं, न कोई आहट का आभास होता है।
जहां शब्दों की सीमा खत्म होती है,
वहां आत्मा का सच्चा संवाद होता है।
मौन की गहराइयों में डूबो तो,
विचारों की भीड़ तिरोहित हो जाती है।
भावनाओं के बंधन टूट जाते हैं,
सिर्फ शुद्ध अस्तित्व बचा रह जाता है।
मन के सारे स्वर शांत हो जाते हैं,
हृदय की धड़कन भी गीत गाने लगती है।
वह गीत जो किसी शब्द का मोहताज नहीं,
केवल मौन की लहरों पर बहता है।
अकेलेपन का डर भी वहां हार मान लेता है,
जब एकांत में आत्मा से आत्मा का मेल होता है।
यह कोई विरक्ति नहीं, न कोई त्याग है,
यह तो सत्य से जुड़ने का अनुपम राग है।
शून्यता में जब तुम खुद को पाते हो,
हर आभास, हर पहचान को मिटाते हो।
तब जगत से परे एक नया द्वार खुलता है,
जहां आत्मा का प्रकाश ही सबसे बड़ा बल होता है।
तो मौन में डूबो, एकांत को अपनाओ,
सन्नाटे की गोद में अपनी आत्मा को सुनाओ।
यह यात्रा तुम्हें स्वयं तक पहुंचाएगी,
और शून्यता में पूर्णता का स्वाद चखाएगी।
No comments:
Post a Comment
Thanks