कभी तो हम साथ होंगे


प्यार भरी  नजरों से ढूंडती हो जो तुम मुझे।
पर अब कहाँ  मिलूंगा मैं तुझे ।

मैं तो खुद  में खोया  हुआ था
पाया है जब से खुद को खुद से
भूल गया हूँ मैं खुद तब से ।

वो बात अब जमाने की लगती है।
जिस जमाने हम बात किया करते  थे।

एक  तरफ तुम एक तरफ मैं
बस  युहीं  दो राहों पर खड़ी है दो जिंदगी
जो ना कभी मिलती है ना कभी बिछड़ती है।

बस टक टकी लगाए देखी जाती है एक दूसरे को।
इस इंतजार में  की कभी तो हम  साथ होंगे ।

दीपक डोभाल

सांस

चल फिर उड़ा ले सांसो को  सांसों से
उस सांस में जीवन और मरण का जो बंधन  है
उसे तोड़ दे ।
प्याली जो खाली है
मदहोशी की उस में
प्रेम के बीज बोकर भर दे
रंगिनोयों से।
ओर घटक के पी जा
जो भी है उसमें चाहे तो
जहर हो या अमृत
बस पी कर पार कर
दे उस भव सागर को।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...