कभी तो हम साथ होंगे


प्यार भरी  नजरों से ढूंडती हो जो तुम मुझे।
पर अब कहाँ  मिलूंगा मैं तुझे ।

मैं तो खुद  में खोया  हुआ था
पाया है जब से खुद को खुद से
भूल गया हूँ मैं खुद तब से ।

वो बात अब जमाने की लगती है।
जिस जमाने हम बात किया करते  थे।

एक  तरफ तुम एक तरफ मैं
बस  युहीं  दो राहों पर खड़ी है दो जिंदगी
जो ना कभी मिलती है ना कभी बिछड़ती है।

बस टक टकी लगाए देखी जाती है एक दूसरे को।
इस इंतजार में  की कभी तो हम  साथ होंगे ।

दीपक डोभाल

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