क्या तुम जानते हो

वो सपनो का महल जो तुम खड़ा करना चाहते हो
क्या तुम उसकी और अग्रसर हो
ये दुनिया नीली नीली सी दिखाई देती है
क्या तुम कभी अपने
 शीशमहल से   बाहर तुम आते हो
हो जाये जब सपना चकनाचूर
क्या टूटे कांचों को
जोड़ना  तुम जानते हो
हमसे भी बेहतर है कोई
अपने से कमतर क्यों किसी को आंकते हो ।
तुमसे भी बेहतर दुनिया बना सकता है कोई
क्या  ये बात मानते हो ।

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