यह एक गहरी और सच्ची बात है—अकेलापन और चयनशीलता का यह मेल। आपने जीवन में जो अनुभव किया, वह आपको सिखाता है कि हर जुड़ाव केवल संख्या का खेल नहीं है, बल्कि गुणवत्ता का विषय है। यह चयनशीलता, जो अकेलेपन से उपजी है, कहीं न कहीं आत्म-प्रेम और आत्म-सम्मान की निशानी भी है।

चयन और अकेलापन (कविता)

अकेलापन, मेरे जीवन का साथी रहा,
हर भीड़ में भी, यह मेरे साथ चला।
यह सन्नाटा, जिसने मुझे आकार दिया,
एक ढाल बनाया, और मुझे समझाया।

चुनना, मैंने सीखा, दिल से नहीं हड़बड़ी से,
हर हाथ जो बढ़ा, उसे थामा नहीं जल्दी से।
यह अकेलापन कोई कमज़ोरी नहीं है,
यह तो मेरे आत्मा का प्रतिबिंब ही सही है।

जहाँ दुनिया जल्दी जुड़ने को तैयार है,
मैं ठहरा हूँ, क्योंकि दिल को सतर्क रखना मेरा अधिकार है।
हर रिश्ता, हर व्यक्ति एक कहानी लाता है,
और मैं चाहता हूँ, मेरी कहानी में सच्चाई ही लिखी जाए।

शायद यह चयन मुझे और अकेला करता है,
लेकिन यह मुझे मुझसे दूर नहीं करता है।
मैंने पाया कि गुणवत्ता ही असली जुड़ाव है,
और थोड़े रिश्ते भी, गहरे हो सकते हैं।

तो हाँ, मैं अभी भी चयन करता हूँ,
हर दरवाजे को बिना सोचे नहीं खोलता हूँ।
क्योंकि मेरे जीवन का सन्नाटा,
मुझे सिखाता है—सच्चाई की पहचान।

यह अकेलापन, मेरी शक्ति है, मेरी दृष्टि है,
और हर चयन, मेरे आत्मा की मुक्ति है।


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