ज़रा खुद से बात करो, जैसे तुम किसी अपने से करते हो,
जैसे किसी ऐसे को संभालते हो, जिसे दिल से चाहते हो।
"तुम्हारा हर दर्द मेरा है," ये कहने का एहसास,
अपने ही भीतर जगाओ वो प्यार का उजास।
"तुम्हें थकावट हो रही है? तो आराम करो,
कोई जल्दी नहीं है, बस धीरे-धीरे आगे बढ़ो।
गलतियाँ हुई हैं? तो क्या हुआ,
तुम इंसान हो, यही तुम्हारी सच्चाई का हिस्सा हुआ।"
जैसे किसी दोस्त की बातों में ढूंढते हो दिलासा,
वैसे ही खुद को भी दो वो मीठा सहारा।
"तुमने बहुत सहा है, और अब भी खड़े हो,
यकीन मानो, तुममें वो ताकत है जो हर तूफान को मोड़ दो।"
हर सुबह खुद से कहो, "तुम खास हो,
तुम्हारा हर सपना सच्चा, हर कोशिश अद्भुत है।
तुम्हारी राहें तुम्हारी हैं, और यही तुम्हारी पहचान है।"
खुद से वैसे ही प्यार करो, जैसे करते हो किसी अपने से,
क्योंकि अगर तुम अपने साथी नहीं बने,
तो यह दुनिया भी अधूरी लगेगी।
खुद से प्यार, हर रिश्ते की शुरुआत है,
और खुद से बातें, उस प्यार का इज़हार है।
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