पूर्णता की ओर

यह विचार गहराई से सच्चाई को छूता है।
"Connect to share your completeness, Not to find a missing piece."
यह समझाता है कि हम अपने भीतर पूर्ण हैं। हमें संबंधों में अपनी कमी पूरी करने के लिए नहीं जाना चाहिए, बल्कि अपनी पूर्णता को साझा करने के लिए जाना चाहिए।

पूर्णता की ओर

मैंने खोजा था टुकड़ों में खुद को,
हर रिश्ते में ढूंढा एक अधूरी गूंज को।
पर हर तलाश ने और खाली किया,
जैसे अपना ही प्रतिबिंब धुंधला दिया।

फिर यह पंक्तियाँ मुझसे आ टकराईं,
जैसे किसी ने गूंजती शांति सुनाई।
"पूर्णता तुम्हारा स्वभाव है,
संबंध केवल उसे साझा करने का प्रभाव है।"

क्या मैं अधूरा था, या बस भ्रम में था?
क्या यह दुनिया मेरी कमी से जूझ रही थी?
नहीं, उत्तर मेरे भीतर ही सोया था,
पूर्णता का दीपक, जिसे मैंने खोया था।

अब मैं जुड़ता हूँ, पर किसी आस से नहीं,
कोई खालीपन भरने की तलाश से नहीं।
मैं जुड़ता हूँ, अपनी रोशनी को बांटने,
अपने स्वभाव को हर दिल तक पहुंचाने।

हर रिश्ता अब एक संगम बन गया है,
जहाँ दो पूर्ण आत्माएँ मिलती हैं।
न कोई अधूरापन, न कोई आवश्यकता,
सिर्फ प्यार, स्नेह और उपस्थिति।

पूर्णता के इस सत्य को जी लो,
और देखो, कैसे जीवन बहारों से भर जाएगा।


No comments:

Post a Comment

Thanks

छाँव की तरह कोई था

कुछ लोग यूँ ही चले जाते हैं, जैसे धूप में कोई पेड़ कट जाए। मैं वहीं खड़ा रह जाता हूँ, जहाँ कभी उसकी छाँव थी। वो बोलता नहीं अब, पर उसकी चुप्प...