मैंने प्रेम किया था,
एक खुले आकाश की तरह,
न कोई सीमा, न कोई डर।
हर भावना निर्मल थी,
हर वादा अटूट लगता था।
पर फिर एक दिन,
सब बदल गया।
प्रेम टूटा, और मैं भी।
वो मासूमियत, वो निश्चलता,
धीरे-धीरे हाथ से फिसल गई।
अब प्रेम कोई सरल गीत नहीं,
अब यह एक पहेली है।
हर शब्द के पीछे छुपे अर्थ ढूँढता हूँ,
हर मुस्कान में छिपे इरादे परखता हूँ।
मैं अब भी प्रेम करता हूँ,
पर पहले जैसा नहीं।
अब मेरा दिल खुला तो है,
पर सतर्क भी।
अब मैं बहता तो हूँ,
पर पहले किनारे देखता हूँ।
कभी-कभी सोचता हूँ,
क्या वो मासूमियत लौट सकती है?
शायद नहीं।
पर अब जो प्रेम है,
वो पहले से ज्यादा सच्चा है,
क्योंकि अब मैं जानता हूँ
कि प्रेम सिर्फ देना नहीं,
बल्कि अपने दिल की हिफाज़त करना भी है।
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