अगर मदद कर सकता हूँ, तो करूंगा,
लेकिन अगर नहीं कर सकता, तो नहीं।
अपनी सीमाओं को समझना है,
खुद को खोकर किसी का न करूँगा भला।
यह बीमारी नहीं, यह समझ है,
कि अपनी शक्ति को पहचानूं,
जब तक खुद में ऊर्जा है,
तब तक ही किसी और की मदद करूं।
स्वार्थी नहीं, बस संतुलित हूँ,
अपने और दूसरे के बीच में एक दीवार।
मैं न जाऊं इतना गहरे,
कि खुद ही डूब जाऊं, यह मेरा इरादा नहीं है।
मदद देने का मतलब यह नहीं,
कि खुद को खो दूं किसी के लिए।
समझदारी से मदद करो,
लेकिन अपनी पहचान और शक्ति को न छोड़ो।
No comments:
Post a Comment
Thanks