सपनों के पीछे हर रात सोकर मैंने बिसार दिया।
मगर वो फल ना मिला, जो मेरा हक़दार था,
मेरे प्रयासों का वो मुक़ाम ना बना, जो मेरा किरदार था।
फिर भी हार नहीं मानी मैंने, उम्मीद का दामन थामे रखा,
क्योंकि सच्चे मेहनती का कभी साथ नहीं छोड़ता तक़दीर का तका।
अखंड है, अचल है, अजेय वही, जिसे न झुका सके कोई शक्ति कभी। माया की मोहिनी भी हारती है, वेदों की सीमा वहाँ रुक जाती है। जो अनादि है, अनंत है, ...
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