हमारी कलम, हमारी आवाज़,
इतिहास की स्याही से आगे बढ़ते हैं।
जो बुराइयाँ सदियों से रहीं,
उनकी पहचान हमें करनी है, बदलना है।
हम कहते हैं, "स्पेस से बाहर जाओ,"
पर यह सिर्फ एक और तात्कालिक उपाय है।
क्या यह ऑनलाइन दुनिया है या वास्तविक,
मनुष्य के स्वभाव का संकट हमेशा रहा है।
शब्दों से हम दिलों को बदल सकते हैं,
कहानियों से हम भ्रम को दूर कर सकते हैं।
हमारे कर्तव्य में है यह समझाना,
कि सच्ची क्रांति हमें भीतर से लानी है।
न कोई घृणा, न कोई दीवार,
जब हम सभी को अपना मानेंगे।
हमारी कलम है एक मजबूत शक्ति,
जो पुरानी सोच को नयी दिशा देगी।
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