पहली दुनिया के झगड़े


जो दूसरों की भिन्नता पर नफ़रत उगलते हैं,
उनके पास बस छोटी छोटी परेशानी होती है।
उनकी ज़िंदगी में है सुविधा की भरमार,
और फिर भी, दिल में बढ़ती है तल्ख़ी, बार बार।

वे जिन्हें हर चीज़ मिलती है,
जिनकी दुनिया में दर्द कम होता है,
फिर भी, वे क्यों अपनी ऊर्जा बर्बाद करते हैं,
दूसरों को गिराने में? ये सवाल है बड़ा।

सच ये है—
वह जो वास्तविक संघर्षों से अनजान हैं,
उन्हें किसी और की परिभाषाएँ सुलझानी होती हैं।
लेकिन असली दुनिया तो कुछ और ही है,
वहाँ प्रेम है, दर्द है, संघर्ष है—
और कोई भिन्नता नहीं, बस सबका संघर्ष साझा है।


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