सच तो यह है,
शारीरिक आकर्षण केवल एक दिखावा है,
यह वही मुद्रा है जो इस दुनिया में भूख को शांत नहीं कर सकती,
जहां गहराई की तलाश है, पर हर कोई सतही में खो जाता है।
अगर इसे हटा दिया जाए,
तो बचता क्या है?
केवल खोखले खोल,
जो कनेक्शन की तलाश में हैं,
लेकिन अपने भीतर की गहराई को नहीं समझते।
कितने लोग शारीरिकता का पीछा करते हैं,
जैसे वही सब कुछ हो,
लेकिन सच्चा बंधन तो कुछ और है,
वह जो हमारे मन, आत्मा और भावना से बनता है।
यह वह रिश्ता है जो समय के साथ बनता है,
जो सिर्फ़ दिखावे से नहीं,
बल्कि आत्मा की गहराई से जुड़ता है।
क्योंकि असली शक्ति तो यही है,
हम जो हैं, न कि जो दिखते हैं।
हाइप को छोड़ दो,
यह मानसिक और भावनात्मक जुड़ाव ही है
जो असली ताकत देता है,
जो कभी नहीं टूटता,
जो हमेशा गहरे रहता है।
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