सवालों का प्यार


तुमसे जब पूछा, "कहाँ थे तुम?"
सारे सवाल थे, बस प्यार से जुम।
पर तुमने जो जवाब दिया, वो था कुछ अजीब,
जैसे कोई राज़ छुपा हो, या कुछ हो ख्वाबों में चीब!

मेरे लिए तो था वो बस एक प्यारा सवाल,
पर तुमने उसे बना दिया, पूरी एक मिस्ट्री का हाल।
दिल में थोड़ी सी धड़कन, थोड़ी सी बेचैनी,
"तुम कहाँ थे?" सवाल नहीं, बस प्यार की कहानी।

मैं तो सोचता था, क्या फर्क पड़ता है,
"कहाँ थे तुम?" सिर्फ दिल की बात होती है।
पर तुमने थोड़ी घबराहट दिखाई,
कुछ तो था जो तुमने छुपाया, शायद कोई गहरी कशिश!

सच्चाई में, ये सवाल था सिर्फ प्यार का इज़हार,
जहाँ तुम थे, वहाँ मेरे दिल में था एक प्यारा विचार।
तो अगली बार, जब तुमसे पूछूं यही सवाल,
समझ लेना कि मेरा दिल है बस तुझसे ख्वाबों का माल!

कभी बेवजह ही नहीं, बस प्यार का है रिवाज,
"कहाँ थे तुम?" सिर्फ दिल से एक प्यारी सी राज़।


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