क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं,
क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं।
यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना,
इनसे नहीं बनता किसी का जमाना।
आधे हुनर वाले बना रहे हैं इतिहास,
और मैं यहां खड़ा, सोचता बार-बार।
कभी कहूं कि कल करूंगा, कभी कहूं आज नहीं,
ये बहाने मेरे ही सपनों की आवाज नहीं।
मेरा हुनर, मेरी ताकत, मेरा अधिकार है,
जो रोक रहा है, वो मेरा ही विचार है।
हर ठोकर मुझे सिखाने आई है,
हर हार मुझे जीता बनाने आई है।
स्मरण करो गीता का वह महान श्लोक,
"कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।"
कर्म मेरा धर्म है, यह सत्य है,
फल की चिंता, बस व्यर्थ की व्यथा है।
मैं इंतजार क्यों करूं किसी सही समय का,
सही समय वही है, जब मैं कदम बढ़ाऊं।
आत्मविश्वास मेरी राह का दीपक है,
हर चुनौती, हर हार मेरा शिक्षक है।
आओ, अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाएं,
डर को पीछे छोड़, खुद से वादा निभाएं।
मेरा हुनर, मेरा सपना, मेरी राह बनाएं,
दुनिया को दिखाएं, क्या हम कर दिखाएं।
क्योंकि मैं भी बना हूं, लहरें उठाने के लिए,
और खुद को आसमान तक ले जाने के लिए।
अब न डर, न संशय, बस विश्वास का दीप जलेगा,
जो मैं सोचूं, वही सच होकर खिलेगा।
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