वर्षांत समीक्षा



साल के अंत में बैठूं तनिक,
मन के कोने में खोजूं झलक।
क्या पाया, क्या खो दिया,
जीवन के रथ को कैसे मोड़ दिया?

मंथन:
क्या सीखा, क्या पाया,
कौन-सा सपना साकार कराया?
किस भूल ने सबक सिखाया,
किसने नया मार्ग दिखाया?

पुनःस्थापन:
लक्ष्य नए अब तय करें,
मन की धारा से जुड़े रहें।
क्या चाहा, क्या भूल गए,
जो अधूरा था, फिर से गढ़ लें।

पुनः प्रज्वलन:
संकल्प नया, हौसले की बात,
सीखें नई, करें शुरुआत।
सपनों को पंख दे, उड़ान भरें,
जीवन के हर पल को गले लगाएं।

तो आओ, समीक्षा करें स्वयं की,
साल नया हो प्रेरणा की दृष्टि।
संघर्ष, सफलता, और नई राह,
यही है जीवन का सच्चा वृहद पाठ।


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