जब मौन की चादर ओढ़ता हूँ,
भीतर का कोलाहल शांत होता है।
हर आहट, हर ध्वनि,
जैसे मन का संगीत बन जाता है।
शब्दों के शोर में खो जाता था,
अब मौन की गहराई को अपनाता हूँ।
जहाँ दुनिया का शोर थम जाता है,
वहीं मैं अपनी आत्मा को सुन पाता हूँ।
यह मौन, यह शांति,
कोई कमजोरी नहीं, बल्कि ताक़त है।
भीतर छिपा ज्ञान,
अब मेरी राह बनाता है।
जो कान सुन नहीं पाते,
दिल अब उन ध्वनियों को पकड़ता है।
जो आँखें देख नहीं पातीं,
मौन का प्रकाश उन्हें दिखाता है।
इसलिए मैं शांत रहना सीखता हूँ,
हर क्षण, हर पल गहराई में उतरता हूँ।
क्योंकि जब मैं शांत हो जाता हूँ,
संसार की सच्चाई को सुन पाता हूँ।
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