ग़म ने मुझमें, अपना सच छुपा नहीं हूँ।
ग़म के आँधीओं में, मैंने अपना आकार खोया,
पर ग़म के साथ, नई ख़ुशियों को पाया।
नयी उड़ानों के साथ, मैं चल रहा हूँ,
राहों में मैंने, अपने अपने सपने सजाए हैं।
ग़म के पेड़ों में, मैंने अपना सहारा ढूंढा,
नए सवेरे की राहों में, मैंने अपना इंतज़ार किया।
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