साहस बिना विवेक का,
है बस बेवजह का कदम।
विवेक ही देता है दिशा,
कभी भी वह नहीं होता कम।
कभी संकोच भी ताकत है,
जब संयम और सटीकता हो साथ।
वो समय की सटीकता ही है,
जो सबसे बड़े साहस को कर दे मात।
कुछ लोग यूँ ही चले जाते हैं, जैसे धूप में कोई पेड़ कट जाए। मैं वहीं खड़ा रह जाता हूँ, जहाँ कभी उसकी छाँव थी। वो बोलता नहीं अब, पर उसकी चुप्प...
No comments:
Post a Comment
Thanks