भाग 6C: जब स्त्री का शरीर युद्धभूमि बन गया — नाज़ी जर्मनी, यौन हिंसा और यहूदी महिलाएं

 

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🔍 प्रस्तावना: 'होलोकॉस्ट' की वो कहानी जो अक्सर नहीं बताई जाती

जब भी हम हिटलर और होलोकॉस्ट की बात करते हैं, तो ज़हन में गैस चैंबर, जबरन मजदूरी, सामूहिक हत्या जैसे दृश्य आते हैं। लेकिन एक सच्चाई को दशकों तक दबा दिया गया — यहूदी महिलाओं और लड़कियों के साथ नाज़ी शासन द्वारा की गई यौन हिंसा

यह हिंसा केवल शारीरिक नहीं थी — यह एक सोची-समझी रणनीति थी, एक तरीका था दमन और अपमान का, जो स्त्री के शरीर के माध्यम से पूरी एक कौम को नीचा दिखाने का माध्यम बनी।

🚧 स्कारज़िस्को-कामिएन्ना: शिविर की दीवारों में गूंजती चीखें

📍पोलैंड के Skarżysko-Kamienna श्रम शिविर का नाम इतिहास में केवल श्रम या हत्या के लिए नहीं, बल्कि नरकीय यौन शोषण

यहाँ के कमांडेंट फ्रिट्ज बार्टेन्सचलेगर (Fritz Bartenschlager ) ने एक राक्षसी परंपरा बना दी थी — वह नियमित रूप से युवा यहूदी महिलाओं को 'चुना' करता, उन्हें नग्न अवस्था में एसएस अधिकारियों की पार्टियों में परोसा जाता। इन 'पार्टियों' में उनका बलात्कार किया जाता, और अगली सुबह उन्हें मार दिया जाता।

यह न केवल यौन हिंसा थी, बल्कि सामूहिक मनोरंजन और नरसंहार का मेल — जहाँ महिला का शरीर सिर्फ वस्तु बन गया था।

🔄 कैदियों से कैदियों द्वारा बलात्कार

यौन हिंसा की यह भयावहता केवल नाज़ी अधिकारियों तक सीमित नहीं थी। कई बार अन्य कैदियों को भी इस हिंसा का हिस्सा बनने के लिए मजबूर किया गया

कुछ रिपोर्टों के अनुसार:

  • महिलाओं को गार्ड्स के सामने निर्वस्त्र कर पुरुष कैदियों के सामने पेश किया जाता।
  • उनसे कहा जाता कि अगर वे बलात्कार नहीं करेंगे, तो उन्हें गोली मार दी जाएगी।
  • इससे यौन हिंसा न केवल बढ़ी, बल्कि पीड़ित महिलाओं के मानसिक और सामाजिक घाव और गहरे हो गए

यह हिंसा एक “weaponized rape” यानी युद्ध का औज़ार बन गई थी — जहाँ बलात्कार का मक़सद सिर्फ वासना नहीं, बल्कि अपमान, नियंत्रण और 'नस्लीय सफ़ाई' था।

💡 युद्ध और नरसंहार में स्त्री शरीर क्यों बनता है निशाना?

इतिहासकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के अनुसार, युद्धों और नरसंहारों में महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाएँ किसी अपवाद की तरह नहीं, बल्कि रणनीति की तरह सामने आती हैं। इसके पीछे कई गहरे कारण होते हैं:

  1. जातीय और सांस्कृतिक अपमान: महिला को हराने का अर्थ है उस समाज, उस नस्ल, उस परंपरा को अपमानित करना।
  2. पुरुषों को कमजोर करना: अगर एक समुदाय की महिलाएं बलात्कार की शिकार हों, तो पुरुषों में गिल्ट, असहायता और अपमान की भावना पैदा होती है।
  3. “Womb as weapon” – गर्भ को हथियार बनाना: बलात्कार के ज़रिए विरोधी नस्ल की महिलाओं को गर्भवती करना — ताकि नस्लीय शुद्धता को नष्ट किया जा सके।
  4. भविष्य की नस्लों को मिटाना: गर्भवती महिलाओं को मारना, जबरन गर्भपात कराना — ये सभी जनसंहार (genocide) की योजना का हिस्सा होते हैं।

इसलिए जब हम यौन हिंसा को 'side effect' समझते हैं, तो हम असल में उस साज़िश को नज़रअंदाज़ कर रहे होते हैं जो स्त्री के शरीर पर रची जाती है।

📖 होलोकॉस्ट सर्वाइवर्स की गवाही

कई सर्वाइवर्स, जैसे कि Gisella Perl, ने वर्षों बाद अपनी पीड़ा को साझा किया।

  • गिसेला एक यहूदी डॉक्टर थीं, जिन्हें Auschwitz शिविर में यह जिम्मेदारी दी गई कि वे बलात्कार की शिकार महिलाओं के गर्भ गिराएँ।
  • वह कहती हैं: “मैं हर बार एक बच्चे को बचा नहीं सकी, लेकिन एक माँ को ज़िंदा रखने की कोशिश की।”
  • उनकी गवाही बताती है कि कैसे यौन हिंसा के साथ-साथ मातृत्व, चिकित्सा, और नैतिकता भी घायल होती थी

अन्य महिलाएं, जैसे कि एग्नेस कपोसी, ने बताया कि कैसे वे सोवियत सैनिकों द्वारा बलात्कार का शिकार हुईं — तब भी जब वे नाज़ी यातना से मुक्त हो चुकी थीं।

🔕 जब पीड़ा पर चुप्पी हावी हो गई

यौन हिंसा से बची महिलाएं अक्सर जीवन भर चुप रहीं:

  • वे समाज से बहिष्कृत हो जाती थीं।
  • उन्हें 'दूषित' या 'गिरी हुई' माना जाता था।
  • यहूदी समुदायों में बलात्कार पर बात करना शर्म और अपराधबोध से घिरा हुआ था।

इसलिए इतिहास की किताबों में यह विषय नहीं आया, ना पाठ्यक्रमों में, ना फिल्मों में, ना स्मारकों पर।

📌 निष्कर्ष: जब स्त्री का शरीर बन जाता है युद्ध की ज़मीन

नाज़ी शासन का होलोकॉस्ट केवल नस्लीय हत्या नहीं था — वह एक सांस्कृतिक, मानसिक और यौन नरसंहार भी था।

महिलाओं को केवल इसलिए बलात्कार का शिकार बनाया गया क्योंकि वे उस कौम का हिस्सा थीं जिसे मिटाया जाना था। और उनका शरीर — एक 'नक़्शा' बन गया — जिसमें घृणा, सत्ता, जातीय अहंकार और साज़िश को उकेरा गया।

🕯️ इसलिए यह ज़रूरी है कि हम इन घटनाओं को न केवल याद रखें, बल्कि उनकी खामोश परछाइयों को इतिहास के पन्नों में दर्ज करें

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