मैंने देखा है, पैसे का सबसे बड़ा लाभ,
न सोने के गहने, न महंगी गाड़ियाँ,
बल्कि उन छोटे-छोटे तनावों का अंत,
जो रोज़मर्रा की ज़िंदगी में बोझ बन जाते थे।
कोई ट्रेन छूट जाए, तो चिंता नहीं,
एक और टिकट और सफर जारी।
खाने में संदेह हो, तो मजबूरी नहीं,
बस नया मँगाओ और शांति बनी रहे।
ये छोटे खर्च बड़े नहीं लगते,
पर जो मानसिक सुकून मिलता है,
वह अनमोल होता है,
क्योंकि हर बार जब चिंता हटती है,
ज़िंदगी हल्की और सहज लगती है।
धन का असली सुख यही है,
न कि दिखावे में, न शान-ओ-शौकत में,
बल्कि उस मानसिक आज़ादी में,
जहाँ छोटे-छोटे झंझट अब मन को नहीं बांधते।
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