सीमाएँ मेरे संग



मैं बढ़ता हूँ, हर क्षण, हर साँस,
बीते पलों को मुक्त कर, चलता निरंतर।
जो वचन स्वयं से किए,
उन्हें निभाने का नाम ही जीवन है।

छोड़ देना कमजोरी नहीं,
यह तो विस्तार का संकेत है।
नए अवसरों के लिए,
पुराने बंधनों से मुक्त होना आवश्यक है।

मैं स्वयं को आकार देता हूँ,
हर कठिन निर्णय, हर प्रयत्न के साथ।
क्योंकि जहाँ मेरा सच्चा पथ है,
वहीं मेरी मुक्ति, वहीं मेरा प्रकाश।


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