मुझे किसी से होड़ नहीं,
न किसी की चमक बुझाने की चाह।
मेरा अस्तित्व स्वयं में पूर्ण है,
मेरा प्रकाश किसी और की छाया नहीं।
जो भीतर स्थिर है,
उसे प्रमाण देने की ज़रूरत नहीं।
न किसी से बेहतर दिखने की होड़,
न अपने मूल्य को साबित करने की जिद।
संतुष्टि की सबसे बड़ी अभिव्यक्ति यह है—
मैं दूसरों की जीत पर मुस्कुरा सकता हूँ,
बिना किसी भय, बिना किसी ईर्ष्या के।
जो भीतर से शांत हैं, वे ही सच में शक्तिशाली हैं।
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