मेरे विचारों का अंश



यदि मैं दे दूं अपना तन,
तो लौट सकता है वह पलछिन।
पर यदि मैं दे दूं अपने विचार,
तुम ले जाओगे मेरा अनमोल संसार।

शब्दों में छुपा है मेरा मन,
भावनाओं का गहरा चंदन।
जो मैं हूँ अपने लिए खास,
तुम बन जाओगे उसका आधार।

संवाद की यह अदृश्य डोर,
जोड़ती है रूह के कोर।
तन तो बस है क्षणिक स्पर्श,
मन की गहराई है असली उत्कर्ष।

तुम जो सुन लो मेरे विचार,
तो ले जाओगे मेरे भीतर का सार।
मेरे ख्यालों की वो कोमल धारा,
जो बहती है केवल मेरे सहारा।

इसलिए कहती हूँ हर बार,
संवाद है सबसे बड़ा उपहार।
यह जो रिश्ता जोड़े रूह से रूह,
वही सच्चा है, वही है खूबसूरत सत्य का स्वरूप।


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