पंख


बस फिर से उड़ने को तैयार है  पंख
जरा थम से गये थे पंख
जरा जम से गये थे पंख
आ रही है ठंडी ठंडी हवायें
जो की उडा रही है पंख
फिर से मचलने को तैयार है पंख
बस फिर से उड़ने को तैयार है  पंख
 
जरा भावनाओं के अंधेर मे फंस गये थे पंख
जरा मोह के आवेश मे  घस गये थे पंख
आ रही है रूहानी सी  गुनगुनी धुप
जो की सुखा रही है पंख
फिर से सम्भलने को तैयार है पंख
बस फिर से उड़ने को तैयार है  पंख

मन का संगीत



तुम्हारी बनाई कला मन का रूप बदलती है,
तुम्हारी ली गई सांसें जीवन को संवारती हैं।
चोटों पर रखे मरहम से नयी राहें निकलती हैं,
सजाई गई नींद से आत्मा मुस्कुराती है।

दया का दीप जलाओ तो अंधेरा मिटता है,
तनाव की गांठ खोलो तो मन हल्का होता है।
दिनचर्या का सुर संगत बनाओ,
आदतों से जीवन का संगीत सजाओ।

जो सोच को नया नजरिया दो, वो प्रकाश फैलाती है,
जो सीमाओं को स्वीकारो, वो बंधनों को तोड़ जाती है।
थोड़ी स्थिरता लाओ, थोड़ी शांति को गले लगाओ,
अपने भीतर की कहानियों से नए सपने जगाओ।

कृतज्ञता के भाव से जीवन महकता है,
धरती से जुड़ाव से जड़ें गहरी बनती हैं।
रिश्तों को संजोने से प्रेम का वृक्ष फलता है,
हर गति, हर ठहराव, जीवन को पूर्ण बनाता है।

प्रकृति की गोद में समय बिताओ,
आराम में खुद को फिर से पाओ।
जो प्रेम बिखेरो, वो दिलों को जोड़ता है,
जो प्रकाश चुनो, वो अंधेरों को तोड़ता है।

हर लम्हा, हर प्रयास,
तुम्हारे मन का संगीत रचता है।


अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...