गम के आवाज़ में नयी कविता बुनता हूं,सपनों के साथ, जीवन का सफर चलता हूं।

गम के आवाज़ में नयी कविता बुनता हूं,
सपनों के साथ, जीवन का सफर चलता हूं।

चलते चलते राहों में, गम को पार करता हूं,
नई उड़ानों की तलाश में, आसमानों को छूता हूं।

हर सुबह नए आसमान के साथ उठता हूं,
ख्वाबों की डोरी को जीने की राह पर बांधता हूं।

मुसाफिर हूं इस ज़िंदगी के सफर में,
खुद को ढूंढते हुए, नई राहों में निकलता हूं।

नए सवेरे की राहों में, मैंने अपना इंतज़ार किया।

ग़म की राहों में, मैं डूबा नहीं हूँ,
ग़म ने मुझमें, अपना सच छुपा नहीं हूँ।

ग़म के आँधीओं में, मैंने अपना आकार खोया,
पर ग़म के साथ, नई ख़ुशियों को पाया।

नयी उड़ानों के साथ, मैं चल रहा हूँ,
राहों में मैंने, अपने अपने सपने सजाए हैं।

ग़म के पेड़ों में, मैंने अपना सहारा ढूंढा,
नए सवेरे की राहों में, मैंने अपना इंतज़ार किया।

मुसाफ़िर हूँ मैं, राहों का रंग देखने को आया,उड़ने की इच्छा, अधूरी कविता को पूरा करने को आया

गम की आंधी में डूबते हुए, क्या मैंने था तुम,
या गम की गहराई में, क्या तुमने थे मैं।

गम से बाहर निकालकर, नयी राहें चुनी हमने,
नए सपने सजाए, नई ज़िंदगी की कहानी हमने।

भूल गये थे हम, गम का वास्तविक रूप,
एक पल का है, ये धरा का सौंदर्य रूप।

नयी सुबह के साथ, नया सफ़र आएगा,
राहों में बिखरे, नया संगीत गा पाएगा।

मुसाफ़िर हूँ मैं, राहों का रंग देखने को आया,
उड़ने की इच्छा, अधूरी कविता को पूरा करने को आया।

एक पेड़ के नीचे, अटके हुए थे हम,
मगर उसके शाखाओं से, नई उम्मीद की ख़ुशबू आई हमें।

मुसाफ़िर हूँ मैं, चला जाऊंगा,

ग़म की लहरों में डूबा हूँ, या ग़म मुझमें डूबा हूँ,
पर ग़म के साथ चल कर, नयी राहों को चुना हूँ।

उस ग़म को बाहर निकाल कर, नये सपने सजाएं,
मैंने कुछ नया रचा है, नयी धारा में बह जाएं।

ग़म तो बस एक पल है, एक पहाड़ है जो चला जाएगा,
नई सुबह की किरणों में, मैं खुद को पा जाऊंगा।

राहों में मैंने अपने सफ़र को जारी किया है,
मुसाफ़िर हूँ मैं, चला जाऊंगा, ऊँचाईयों को छूने को आया हूँ मैं।

उड़ने की आशा से, मैं बस यहाँ आया हूँ,
कुछ पेड़ों के नीचे अटका हूँ, नये सपनों को जगाने को आया हूँ।

मैंने खुद को ढूँढ़ा है,

ग़म के सागर में तैरते हुए, मैंने खुद को ढूँढ़ा है,
उस ग़म की लहरों में, नयी राहों को पाया है।

नयी कविता की कोशिश की, नए ख्वाब बुने हैं,
भूला हुआ था कि ग़म तो बस एक पल का है, नई उम्मीदों को सुने हैं।

चल पड़े हैं सफ़र पर, मुसाफिरों की तरह,
हर कदम पर, नई धुंधली रोशनी को ढूंढा है दिल ने।

उड़ने की आसमानी ख्वाहिश, अब साकार हो रही है,
कुछ पलों के लिए, उस पेड़ के नीचे, जहाँ मैं अटक गया था, सफ़र शुरू हो रहा है।

बड़ी शायरी


ज़िन्दगी की राहों में, गम का साथ चलता है,
पर उस गम को पार कर, नई ख़ुशियों की खोज में चलता है।

हर सुबह नई उम्मीदों के साथ आती है,
हर रात के बाद, नयी राहतों की राह ख़ूबसूरती से बनती है।

चलो आगे बढ़ें, साथ मिलकर सपनों को पाने की राह पर,
गम के हाथों में, नई ख़ुशियों का हाथ पकड़कर साथ चलते हैं हम।

चलो ठीक है, यहाँ एक बड़ी शायरी है:



जिन्दगी की राहों में गहराई सी बसी है,
सपनों की उड़ान, मिट्टी से ही न बनी है।
हर रोज़ एक नया सफ़र, हर पल एक नयी राह,
गम के साथ चलना, खुशियों की धूप में खिलना सीखा है।
चलो, अब उठें, उड़ें, नई राहों में बढ़ें,
सपनों के साथ दिल को मुस्काना सीखा है।

आपकी मर्ज़ी पर हुज़ूर, इस शायरी का मेज़बानी कर रहे हैं।


ज़िंदगी की राहों में, गमों की बारिश होती है,
पर उन बारिशों से ही, हर फूल खिला करता है।

मुसीबतों के सागर में, हर किनारा चमकता है,
हौसले और जज्बातों से, हर रास्ता संवरता है।

जीने का मतलब है, चुनौतियों का सामना करना,
हर मुश्किल को आँचल में बुनकर, जीना सीखना।

इस ज़िन्दगी की सफ़र में, राहों को चुनना सीखो,
गमों को मोहर बनाकर, खुशियों की छाप छोड़ना सीखो।

ज़िन्दगी की राहों में चलते चलते,

ज़िन्दगी की राहों में चलते चलते,  
गम के समंदर में भी दुख से मिलते।  
पर जीना सिखा, मुस्कान में हंसते,  
सपनों को पाने की राह में बढ़ते।  

चलो उड़ान भरें, सपनों के परिंदे,  
ख्वाबों को सच करें, इस धरा के बिन्दे।  
हर सुबह नई राह की रोशनी हो,  
जीने का मतलब, सपनों को पाना हो।

चलो ठहरो, मोहब्बत की राहों में ज़रा सवारी करें,गुज़रे लम्हों की बातें करें, दिल की बातें सुनाएं।

चलो ठहरो, मोहब्बत की राहों में ज़रा सवारी करें,
गुज़रे लम्हों की बातें करें, दिल की बातें सुनाएं।
हसीन नज़ारों को देखकर दिल को भरने चले,
ज़िन्दगी की कहानी को शायरी के अल्फाज़ों में सजाएं।
सौगातों की बरसातों में रोमांस का सफर करें,
एहसासों के रास्तों पर प्रेम का इज़हार करें।
चलो, मोहब्बत की दुनिया में खो जाएं,
शायरी के महकते फूलों में खुद को ढलने दे।

गम की लहरों में डूब कर नहीं,

गम की लहरों में डूब कर नहीं,
गम के साथ खेलकर मुस्कान में जीना सीखा है।
जीवन की राहों में फिर से चल पड़े,
नई सुबह की किरणों में खुद को पाना सीखा है।
राहों में मैंने अपना सफ़र जारी किया,
मुसाफिर हूं, ज़िन्दगी के गीतों को गुनगुनाना सीखा है।
उठना, जाना, उड़ान भरना चाहता हूं,
क्योंकि जीने का मतलब, सपनों को पूरा करना सीखा है।

गम का सागर है, लहरें उसमें बहुत हैं,

गम का सागर है, लहरें उसमें बहुत हैं,
पर साथी, तू भी तैर, नई किनारे की तलाश में।
गम का पहाड़ है, ऊँचा और विशाल है,
लेकिन हौसला मत हार, नयी राह पे है सफ़र में।
तू मुसाफिर है इस ज़िंदगी के सफ़र में,
रुक, सोच, और फिर चल, नई उड़ान की तलाश में।

अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...