सृजनात्मकता: जीवन से प्रेम का अभिव्यक्त



मैं सृजन का वह रंग बनाना चाहता हूँ,
जो जीवन की हर धड़कन से निकलता है।
वो रंग, जो बिना कोशिश के बहता है,
जीवन के हर कोने में अपनी पहचान बनाता है।

मेरी कल्पनाएँ उसी प्रेम से निकलती हैं,
जो हर दिन मुझे नया दृष्टिकोण देती हैं।
एक ऐसी ऊर्जा, जो निरंतर जागृत रहती है,
और मुझे प्रेरित करती है, दुनिया में अपना आकार ढूँढ़ने।

मुझे हर सुर में आनंद की तरंगें महसूस होती हैं,
हर ध्वनि में जीवन की मधुरता का अहसास होता है।
जब मैं अपनी आवाज़ को उड़ान देता हूँ,
तो यह प्रेम का स्वर बन जाता है, जो सभी को जोड़ता है।

हर कदम में, मैं अपने दिल की गहरी लय सुनता हूँ,
हर हलचल में, अपनी आत्मा का संगीत पाता हूँ।
सृजन मेरा नृत्य है, यह एक प्रेमपूर्ण आंदोलन है,
जो जीवन को और रंगीन, और अद्भुत बना देता है।

मैं सृजन को कोई संघर्ष नहीं मानता,
यह तो उस प्रेम का विस्तार है,
जो जीवन के हर पल में समाहित है,
जो बिना कहे, बिना रुके बहता है, और हमें संजीवित करता है।


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