यह मेरा समय है, मेरी ज़िन्दगी है



मैंने अब ठान लिया है, कि अपनी ज़िन्दगी खुद बनाऊँ,
दूसरों की राय से मुक्त होकर, अपनी राह पर बढ़ता जाऊँ।
जब तक मैं अपनी आंतरिक आवाज़ को सुनता हूँ,
तब तक मैं न कभी रुकता हूँ, न किसी से डरता हूँ।

लोग क्या सोचते हैं, वे क्या कहते हैं,
इनकी बातों से अब कोई फर्क नहीं पड़ता है।
मैं अपनी दिशा चुनूँ, अपना रास्ता तय करूँ,
हर कदम पर खुद को साबित करूँ, हर मुश्किल से लड़ा करूँ।

कभी पीछे मुड़कर न देखूँ, सिर्फ आगे बढ़ूँ,
मेरे पास अपनी ज़िन्दगी का सार है, यही मेरा विश्वास है।
हर दिन एक नई शुरुआत है, एक नई उम्मीद है,
जब तक मैं खुद से न हारूँ, तब तक मुझे कोई नहीं हरा सकता।

दुनिया भर की परेशानियाँ, सबका दबाव,
मैं जानता हूँ, सब समय की बात है, और मैं परिपक्व होता हूँ।
आगे बढ़ने से ही समझ आता है,
खुद को सही मायनों में जानना क्या है।

जब मैंने ठान लिया है, कि अब मुझे सिर्फ अपनी राह चुननी है,
तो कोई भी मुसीबत, कोई भी हालात मुझे रोक नहीं सकते।
यह मेरा समय है, मेरी ज़िन्दगी है,
मैं जितना चाहूँ, उतना करूँ, मैं खुद से सवाल नहीं करता।

जो मैंने चाहा, वही होगा, यही मेरी ताकत है,
मैं वही करता हूँ जो मुझे सही लगता है, यही मेरी पहचान है।
आगे बढ़ना है, और रुकना नहीं है,
खुद से कोई नहीं जीत सकता, जब मैं खुद को पहचानता हूँ।




स्क्रीनराइटिंग की मस्ती"



मेरे स्क्रीन पर लिखी जो बात होती है,
पढ़ते-पढ़ते लोग अक्सर घबराते हैं।
"तुम तो हो अब पुराने तरीके के लेखक,
कभी research करने, कभी notes बनाने के साथ रहते हैं जैसे कोई detective!"

इन्हीं में घंटों बिता देता हूँ,
हर किरदार, हर प्लॉट में रंग भर देता हूँ।
लोग कहते हैं, “क्या है ये सब, डर क्यों लगे?
ये तो बस स्क्रिप्ट, और तुम हो उस कहानी के भगवान!"


स्क्रीनराइटिंग का असली मजा तो research aur notes me hai, aur jo log samajhte hain, unko bhi pata chalega ke creativity ki apni ek duniya hoti hai!


kya karun ?



मैं अब किसी के अनुमोदन के लिए नहीं जीता,
वे तो खुद की दुनिया में उलझे हैं, मुझे क्या फर्क पड़ता है।
अब मैं वही करूँगा जो मुझे खुश करे,
उनकी राय से मुक्त होकर, मैं अनलिमिटेड हो जाता हूँ।

जब मैं खुद की पहचान को समझ लूँ,
तब मुझे किसी से कोई डर नहीं, कोई रुकावट नहीं।
मैं अपने रास्ते पर चलता रहूँगा,
क्योंकि जब मैं खुद के लिए जीता हूँ, तो मैं अजेय बन जाता हूँ।

:
जब आप दूसरों की राय से मुक्त हो जाते हैं, तो आप अपनी पूरी ताकत के साथ अपने सपनों की ओर बढ़ सकते हैं।


meri duniya



मुझे क्या फर्क पड़ता है, लोग क्या सोचते हैं,
वो पल भर के लिए सोचते हैं, फिर अपनी दुनिया में खो जाते हैं।
तो क्यों न मैं वही करूँ, जो मुझे अच्छा लगता है,
जो दिल कहे, वही कदम उठाऊं, बिना डर के, बिना रुके।

लोग अपनी कहानियों में खोते हैं, और मैं अपनी कहानी बनाता हूँ,
जो किसी और की दुनिया में नहीं समाता, वही अपनी दुनिया में गाता हूँ।
कभी न डर, कभी न रुक, जब तक खुद को पहचान न पाऊं,
मैं वही करूँ, जो मुझे चाहिए, क्योंकि ये मेरी जिंदगी है, जो मैं चाहता हूँ।

लोग कितनी देर तक तुम्हारे बारे में सोचेंगे? इसलिए अपनी ज़िंदगी खुद के तरीके से जीयो, क्योंकि अंत में वही मायने रखता है जो तुम चाहते हो।


: "जो तुम जानते हो, वही लिखो"


"जो तुम जानते हो, वही लिखो," यही है जीवन का सत्य,
पर इसे समझो गहरे, ना यह केवल व्यक्तिगत कथा का हल है।
मुझे केवल अपनी ज़िन्दगी की बातें नहीं लिखनी,
मुझे उन अनुभवों को शब्दों में पिरोकर कहानी बनानी है।

जो मैंने देखा, जो महसूस किया, वही मेरा सच है,
लेकिन उस सच को जब कल्पना के रंग से रंगता हूँ,
तो वह नए संसार का रूप लेता है,
जहाँ मेरी आंतरिक समझ से उभरती हर रचना असलियत बन जाती है।

मुझे सिर्फ खुद की कहानी नहीं लिखनी,
बल्कि उन विचारों को भी व्यक्त करना है, जो कभी खुद पर नहीं आए।
सिर्फ वही नहीं जो मैंने जीया, बल्कि जो महसूस किया,
वही शब्दों में ढलकर, हर विचार की गहराई को जगाता है।




संकोच और साहस



संकोच में बसी डर की छाया,
न टूटे जो बंधन, न हो कोई साया।
साहस है वह जो दिल में जागे,
बिना डर के आगे बढ़े, न कोई चुटकी में भागे।

जो कांपते हैं, वे कभी नहीं जीतते,
जिन्होंने साहस दिखाया, वही ऊंचाइयों को छूते।
संकोच सिर्फ असमर्थता की ओर इशारा करता है,
पर साहस भविष्य को उज्जवल बनाता है, रुकावटों को हराता है।

कभी कभी संकोच भी दिखावा बनता है,
जब संयम और स्थिरता से यह आगे बढ़ता है।
वह समय की परख है जो साहस से भी बड़ा,
जिसे विवेक के साथ बांधकर, सफलता पाई जाती है सदा।

साहस भी चाहिए, पर विवेक का साथ,
यह दोनों मिलकर बनाएं भविष्य का मार्ग।
संकट में जो शांत रहे, वह विजय पाता है,
क्योंकि जो समय से चुप रहते हैं, वे ही सही दिशा पाते हैं।



साहस और विवेक




साहस बिना विवेक का,
है बस बेवजह का कदम।
विवेक ही देता है दिशा,
कभी भी वह नहीं होता कम।

कभी संकोच भी ताकत है,
जब संयम और सटीकता हो साथ।
वो समय की सटीकता ही है,
जो सबसे बड़े साहस को कर दे मात।




ब्रह्मांड और साहस


जो डरे, संभल कर चलता,
उसके हिस्से शांति है छोटी।
जो साहस से बढ़ाए कदम,
ब्रह्मांड उसकी राह संजोती।

लक्ष्य बनाओ जो डरा दे,
दिल को जो उत्साहित कर दे।
सपने वो जो खींचें आगे,
जो तुम्हें खुद से बड़ा कर दे।

सामर्थ्य है तुम्हारे भीतर,
बस खुद पर विश्वास जगाओ।
ऊर्जा जो तुमसे निकलेगी,
ब्रह्मांड वही लौटाएगा।



साहस और नेतृत्व

 

जो खड़े हों भीड़ से आगे,
निर्णय जिनका साहस लाए।
वही बनें हैं नेता सच्चे,
जो दूसरों को राह दिखाए।

गलतियाँ भी होतीं उनसे,
पर उनसे डर नहीं जाते।
सुधार के विश्वास से बढ़ते,
आगे कदम बढ़ाते जाते।

जो जोखिम लेकर चलते हैं,
दुनिया उनका आदर करती।
निर्णयों का जो मान रखें,
वो ही तो पहचान बनती।



एकांत & अकेलापन


जब भी एकांत होता है, तो हम अकेलेपन को एकांत समझ लेते हैं। और तब हम तत्काल अपने अकेलेपन को भरने के लिए कोई उपाय कर लेते हैं। पिक्चर देखने चले जाते हैं, कि रेडियो खोल लेते हैं, कि अखबार पढ़ने लगते हैं। कुछ नहीं सूझता, तो सो जाते हैं, सपने देखने लगते हैं। मगर अपने अकेलेपन को जल्दी से भर लेते हैं। ध्यान रहे, अकेलापन सदा उदासी लाता है, एकांत आनंद लाता है। वे उनके लक्षण हैं। अगर आप घड़ीभर एकांत में रह जाएं, तो आपका रोआं-रोआं आनंद की पुलक से भर जाएगा। और आप घड़ी भर अकेलेपन में रह जाएं, तो आपका रोआं-रोआं थका और उदास, और कुम्हलाए हुए पत्तों की तरह आप झुक जाएंगे। अकेलेपन में उदासी पकड़ती है, क्योंकि अकेलेपन में दूसरों की याद आती है। और एकांत में आनंद आ जाता है, क्योंकि एकांत में प्रभु से मिलन होता है। वही आनंद है, और कोई आनंद नहीं है।

साहस का बल



डर के साए में जो जीते,
जीवन उनका फीका होता।
संकोच की दीवारें ऊँची,
हर सपना अधूरा सोता।

जो साहस से कदम बढ़ाते,
दुनिया उनको नमन करती।
गलतियाँ भी गर्व से झुकतीं,
आत्मविश्वास राह दिखाती।

अड़चनें हों या तीखे तीर,
हिम्मत हर घाव को भरती।
निर्भय मन ही दुनिया जीते,
संकोच की हर हद गिरती।

क्यों डरो जब पथ है अपना,
अधमरों से कौन डराए।
जीवन वही जो जीते साहस,
कायरता तो व्यर्थ बताए।



अपनी क्षमता को व्यर्थ न जाने दो

क्यों रुकूं मैं, जब राहें बुला रही हैं, क्यों थमूं मैं, जब हवाएं गा रही हैं। यह डर, यह संशय, यह झूठा बहाना, इनसे नहीं बनता किसी का जमाना। आध...