मेरा मध्‍य बिंदु



जब नींद अभी आई नहीं, जागरण विदा हुआ,
उस क्षण में मैंने स्वयं को महसूस किया।
न सोया था, न जागा था मैं,
बस उस मध्‍य बिंदु पर ठहरा था मैं।

तन शिथिल, मन शांत, सब रुक गया,
अंतर में एक अद्भुत प्रकाश जगमगाया।
सांसें थमीं, समय ठहर गया,
उस पल का अनुभव मेरे भीतर उतर गया।

सुबह की पहली रेखा के संग,
या रात की गहराई का अंतहीन प्रसंग।
दो अवस्थाओं के बीच का वह लम्हा,
जैसे मिल गया हो मुझे जीवन का गहना।

हर दिन मैंने उस क्षण की प्रतीक्षा की,
आंखें मूंद, बस भीतर की साधना की।
शरीर भारी हुआ, मन स्थिर हुआ,
उस मध्‍य बिंदु ने मुझे भीतर से छुआ।

मैं गिरा, दो पहाड़ियों के बीच खाई में,
पर वह गिरना नहीं, उठना था आत्मा में।
न जीवन का भय, न मृत्यु का भार,
बस सत्य का अनुभव, वही मेरा संसार।

मैं जागा, पर नींद में था,
मैं सोया, पर जागरण में था।
उस तीसरे बिंदु ने सत्य दिखाया,
मुझे मेरा असली स्वरूप समझाया।

तंत्र कहता है, "जागो उस क्षण पर,"
जहां दो अवस्थाओं का टूटे बंधन।
मैंने उस कुंजी को पा लिया,
अंतराल में आत्मा का द्वार खोल लिया।

"जब नींद और जागरण का पुल बना,
उस मध्‍य बिंदु पर मैं स्वयं को जाना।
तब जाना, 'मैं कौन हूं' का अर्थ,
मेरा सत्य, मेरा अस्तित्व, मेरा स्वार्थ।"


अपनी अंतर्ज्ञान पर विश्वास करो


सन्नाटे में जो आवाज़ गूंजती है,
जो तुम्हारे भीतर से उठती है।
वो कोई भ्रम नहीं, कोई संयोग नहीं,
वो है तुम्हारी आत्मा की सच्ची पुकार।

तुम्हारी अंतर्ज्ञान तुम्हारी राह है,
जो हर संशय को मिटा देती है।
दिमाग भले शोर मचाए,
पर दिल की गहराई सत्य सुनाती है।

जब निर्णय कठिन हो,
और रास्ते धुंधले लगें।
तब उस नन्ही रोशनी को देखो,
जो तुम्हारे भीतर ही जल रही है।

अंतर्ज्ञान वो विश्वास है,
जो ब्रह्मांड से जुड़ा है।
ये तुम्हें गलत रास्ते पर नहीं ले जाएगा,
क्योंकि ये तुम्हारे सच्चे आत्मा का आईना है।

जो भी चुनौती हो,
उस पर विश्वास करो।
तुम्हारा दिल जानता है,
कि तुम्हें कहाँ जाना है।

सुनो, उस मौन को जो बोलता है,
देखो, उस संकेत को जो छिपा नहीं।
अंतर्ज्ञान तुम्हारा सबसे बड़ा साथी है,
बस अपनी आत्मा से संवाद करो।


आत्मा का दर्पण



सही व्यक्ति तुम्हें पूरा नहीं करता,
वो बस तुम्हारे भीतर के प्रकाश को दिखाता है।
तुम्हारी शक्ति, तुम्हारा जुनून,
तुम्हारी ऊर्जा का अद्भुत सागर जगाता है।

जब तुम स्वयं को तराशते हो,
अपने भीतर के हीरे को चमकाते हो।
सही व्यक्ति बिना खोजे आता है,
जैसे चुम्बक अपने अंश को खींच लाता है।

प्रेम खोजने की वस्तु नहीं,
ये पहचान का एक अमूल्य अनुभव है।
जब आँखें आत्मा को देखती हैं,
तो शब्दों से परे संवाद होता है।

तुम्हारी यात्रा तुम्हारी है,
प्रेम उसका साथ है जो तुम्हें समझे।
वो नहीं जो तुम्हारे अधूरेपन को भरे,
बल्कि वो जो तुम्हारे पूर्ण को झलके।

सही प्रेमी तुम्हारे भीतर का आईना है,
तुम्हारी ताकत और कमजोरियों का सहारा है।
प्रेम कोई समझौता नहीं,
ये दो आत्माओं का अद्भुत सहजीवन है।

जब तुम अपने सर्वश्रेष्ठ बनने में जुट जाते हो,
तो प्रेम अपनी राह खुद बना लेता है।
लवर्स एक-दूसरे को खोजते नहीं,
वे एक-दूसरे को आत्मा से पहचानते हैं।


प्रेम का अदृश्य संगम


प्रेमी कहीं दूर नहीं मिलते,
नहीं होता उनका कोई तय मुकाम।
वो तो सदा से एक-दूजे में हैं,
जैसे नदी में समाया हो गहराई का जाम।

मन के कोने में बसे वो अहसास,
जो बिना शब्दों के कह देते हैं बात।
नयनों की भाषा, हृदय की धड़कन,
उनका मिलन तो आत्मा का संगम।

चमकते तारे गवाह बन जाते हैं,
जब मौन में बातें होती हैं।
हवा की सरसराहट में उनका स्पर्श,
जैसे चाँदनी रातों में धीमी बूँदों का मर्म।

वो मिलते नहीं, क्योंकि अलग कभी थे ही नहीं,
जैसे छाया का अस्तित्व साये से अलग नहीं।
प्रेम कोई यात्रा नहीं, कोई मंज़िल नहीं,
ये तो आत्मा का अनंत शाश्वत प्रवाह है।

सांसों में गूंजती उनकी ध्वनि,
मन के भीतर उनकी छवि बनी।
न प्रेम सीमाओं में बंध सकता है,
न इसे किसी नाम से परिभाषित किया जा सकता है।

जैसे बीज में छिपा हो पूरा वृक्ष,
जैसे गगन में बसी हो धरती की प्यास।
प्रेमी तो सदा ही एक-दूसरे में हैं,
अदृश्य लेकिन अनंत आत्मिक निवास।


मेरा मध्‍य बिंदु

जब नींद अभी आई नहीं, जागरण विदा हुआ, उस क्षण में मैंने स्वयं को महसूस किया। न सोया था, न जागा था मैं, बस उस मध्‍य बिंदु पर ठहरा था मैं। तन श...